समय पर सावधान


समय पर सावधान 

जब पांडव वापस आए तो शकुनि ने कहा हमारे वृद्ध महाराज ने आपकी धनराशि आपके पास ही छोड़ दी है। इससे हमें प्रसन्नता हुई। अब हम एक दांव और लगाना चाहते हैं। अगर हम जूए में हार जाएं तो मृगचर्म धारण करके बारह वर्ष तक वन में रहेंगे और तेहरवे वर्ष में किसी वन में अज्ञात रूप से रहेंगे। यदि उस समय भी कोई पहचान ले तो बारह वर्ष तक वन में रहेंगे और यदि आप लोग हार गए तो आपको भी यही करना होगा। शकुनि की बात सुनकर सभी सभासद् खिन्न हो गए। 

वे कहने लगे अंधे धृतराष्ट्र तुम जूए के कारण आने वाले भय को देख रहे हो या नहीं लेकिन इनके मित्र तो धित्कारने योग्य हैं क्योंकि वे इन्हें समय पर सावधान नहीं कर रहे हैं। सभा में बैठे लोगों की यह बात युधिष्ठिर सुन रहे थे। वे ये भी समझ रहे थे कि इस जूए के दुष्परिणाम क्या होगा। फिर भी उन्होंने यह सोचकर की पांडवों का विनाशकाल करीब है, जूआ खेलना स्वीकार कर लिया। जूए में हारकर पाण्डवों ने कृष्णमृगचर्म धारण किया।

टिप्पणियाँ

  1. आलेख का प्रयास सुन्दर पर त्रुटिपूर्ण है- कृपया सुधार करें: "फिर भी उन्होंने यह सोचकर
    ...की पांडवों का विनाशकाल..."
    (नहीं)
    "....कि कौरवों का विनाशकाल...." करीब है, जूआ खेलना स्वीकार कर लिया।
    वैसे भी युधिष्ठिर के ऐसे विचार करने की बात मेरी जानकारी में महाभारत में नहीं है. वर्तनी में कई स्थानों पर सुधार अपेक्षित है.

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